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Title: अण्डकोष की जलन (Inflammation of the testicles)
Author: Unknown
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भोजन तथा परहेज :   परिचय :         इस रोग में अण्डग्रंथि या इनकी आवरण झिल्ली में प्रदाह या जलन उत्पन्न होने से जो सूजन होती है। उससे अण्डकोष...

भोजन तथा परहेज :  


परिचय :

        इस रोग में अण्डग्रंथि या इनकी आवरण झिल्ली में प्रदाह या जलन उत्पन्न होने से जो सूजन होती है। उससे अण्डकोष के आकार में काफी वृद्धि हो जाती है। इसी को अण्डकोष की जलन कहते है। इसमें पानी जमने की शिकायत नहीं होती है। केवल जलन उत्पन्न सूजन होती है।
           इस रोग में चावल, कच्चा दूध, दही, पके केले से परहेज करना चाहियें।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. शराब शराब के साथ खुरासानी अजवायन को पीसकर अण्डकोष की जलन वाली जगह लेप करने से अण्डकोष के सूजन और दर्द कम हो जाते है।
2. जीरा : सफेद जीरा शराब में मिलाकर लेप करने से अण्डकोष की जलन, सूजन, दर्द दोनों से आराम मिलता है।
3. सिनुआर : 10-20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्ते का रस सुबह-शाम दें, और सिनुआर, करंज, नीम और धतुरे के पत्तों को पीसकर हल्का-सा गुनगुना बांधनें से जलन, सूजन, और पीड़ा मिट जाती है।
4. नागदन्ती : 3-6 ग्राम नागदन्ती की जड़ की छाल सुबह-शाम दालचीनी या लौंग के साथ सेवन करने से अण्डकोष की जलन कम हो जाती है।
5. महुआ : महुआ के फूलों से अण्डकोष को सेंकने से अण्डकोष की पीड़ा जलन, सूजन सभी में आराम मिलता है।
6. तीसी : तीसी की पट्टी एरण्ड के पत्ते पर लगाकर हल्का गर्म करके बांधने से अण्डकोष की जलन सही हो जाती है।
7. पान : पान के पत्ते पर चूना, कत्था, तंबाकू डालकर बने बीड़े को पीसकर उसमें थोड़ा-सा घी मिलाकर एरण्ड के पत्ते पर फैलाकर कसकर बांधने से अण्डकोष की जलन, दर्द, कम हो जाता है।
8. ईसबगोल : ईसबगोल का गाढ़ा सा रस निकालकर अण्डकोष के दर्द वाले जगह लेपकर ऊपर से कागज चिपका दें। इससे अण्डकोष की जलन मिट जाती है।
9. सौंफ : 6 ग्राम सौंफ के चूर्ण को सुबह-शाम सेवन करने से अण्डकोष की जलन मिट जाती है।
10. पलास :
  • पलास के फूल की पोटली बनाकर नाभि के नीचे बांधने से मूत्राशय के रोग समाप्त हो जाते है और अण्डकोष की सूजन भी नष्ट हो जाती है।
  • की छाल को पीसकर लगभग चार ग्राम की मात्रा में पलास पानी के साथ दिन में 2 बार देने से अण्डवृद्धि या अण्डकोष का बढ़ना समाप्त हो जाता है।

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